साधू भाई सेण गुरां से पाया,
आपो खोज्या मिटे आपदा,
आप में आप समाया।।टेर।।
पहले आसण साध्या से सिद्ध है,
पीछे बन्ध लगाया।
पांचों मुद्रा साधन कीजे,
अजपा जाप जपाया।।1।।
रेचक पूरक कुम्भक करिया,
पान अपान मिलाया।
अपान खेंच प्राण घर लावे,
उल्टी मेरू चढ़ाया।।2।।
बस कर पवन सुरत तिरकुटी,
निश्चय ध्यान जमाया।
पहले पहले जगमग जगमग,
पीछे ज्योती दरसाया।।3।।
खुल गये नाद दसों प्रकारा,
झीणी टेर सुणाया।
हो गया दरस आनन्द दास,
गोकल वांही बैठ गुण गाया।।4।।