जोया अगम सुकृत सिवरणा,
नवो इस ठावे सूं ठीक रहवो,
तो जुगत सुक्ति फल पावो।।टेर।।
साधु भाई सुकरत कीजो,
लीजो राम भजन को लावो।
भजन करत भव सागर तिरिया,
सुखरत साम पावो।।1।।
भजीये राम हरख हित चित सूं,
हित बिन लोक दिखावो।
स्वास स्वास विश्वास धरो तो,
पलगल होय पावो।।2।।
भजीये राम मेट सब सांसा,
तजदे दुरमत दावो।
मेटो गर्व गरीबी झालो,
तनमन यूं पर्चावो।।3।।
साहब एक अनेक ईष्ट है,
ज्युं जाणो ज्यूं ध्यावो।
सेस नाम सर्वज्ञी सोही,
क्यूं कोई दोय बतावो।।4।।
सर्वज्ञ साहब सबसे व्यापक,
चौड़े चोकस चावो।
धर समदृष्टि जोय जड़ चेेेतन,
यूं आलम अर्थावो।।5।।
गुरू सत् शब्द झाल सत् संगत,
भक्त भेक जद पावो।
''लिखमा'' लगन लगत लग जावो,
ब्रह्म मिलत ब्रह्म पावो।।6।।