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फकीरी ब्रह्म ज्ञान सोही ज्ञान Fakiri brahm gyan sohi gyan bhajan lyrics

 

।।दोहा।।

और ज्ञान सब गोलिया,ब्रह्म ज्ञान सो ही ज्ञान ।

जैसे गोला तोप का,तोड़ करे मैदान ।।

 

फकीरी ब्रह्म ज्ञान सोही ज्ञान,

और ज्ञान माया में नाना,

जिनको मिथ्‍या जाण ।।टेर।।

 

नहीं कोई सांच झूठ वा माही,

वो आदी पुरूष अदेख ।

इच्‍छा कर बहु भाव दिखावे,

आप निरन्‍तर एक ।।1।।

 

माया सब चेतन के आसे,

उपजे मिटे हमेश ।

चुम्‍बक अचल चले सो लोहा,

यो जड़ चेतन देख ।।2।।

 

चेतन अखै सभी खै माया,

यह निज कहिये विवेक ।

आप सदा है ज्‍यूं का त्‍यूं ही,

जहां नहीं माया रेख ।।3।।

 

प्रमाण अप्रमाण जहां नहीं माया,

नहीं कोई एक अनेक ।

बनानाथ सोई निज चेतन,

नहीं कोई भेख अभेख ।।4।।

ऐसा मेरा सतगरू देश दिखाया समरथ सांच लिखाया aisa mera satguru desh dikhaya samrath saanch likhaya

 

ऐसा मेरा सतगरू देश दिखाया,

कर कृपा सतगरू निज स्‍वामी,

समरथ सांच लिखाया।।टेर।।

 

हरकू हटक अटक जम जालम,

गुण इन्द्रियन कू ढ़ाया।

नव तत परे निरख्‍या निरगुण,

आप स्‍वरूपी थाया।।1।।

 

दरस्‍या देव प्रेम सूं प्रीतम,

अमरण अजर अजाया।

समता सहज रमज माही रहता,

नहीं कोई गया न आया।।2।।

 

कैसे कथू अकथ भई मालम,

वचन परे थिर थाया।

दिष्‍ट न मुष्‍ठ लघु दीरग ना‍ही,

जहां कोई धूप न छाया।।3।।

 

जियाराम मल्‍या गरू पूरा,

अधर दलीचा आया।

कहे बनानाथ सुणो भाई साधू,

अबके मुजरा पाया।।4।।

धनगुरू अविगत भेद बताया तार न टूटे कबहू न छूटे dhanguru avigat bhed bataya taar na tute kabhu na chute

धनगुरू अविगत भेद बताया,

तार न टूटे कबहू न छूटे,

महर करी जब पाया।।टेर।।

 

तन मन तार लगी त्रिवेणी,

इला पिंगला धाया।

पांचों उलट मिली आतम सूं,

प्रेम प्‍याला पाया।।1।।

 

सुरता नारी सुखमण प्‍यारी,

ज्ञान घटा झुक आया।

परस्‍या पीव प्रेम सुन वासी,

अनहद राग सुणाया।।2।।

 

अनभे वाणी राग अगम की,

जांके आदि अनादि पाया।

पूरण भाग मिल्‍यो अविनाशी,

भरम करम नहीं काया।।3।।

 

जियाराम मिल्‍या गरू पूरा,

जम जालम समझाया।

कहे बनानाथ सुणो भाई साधू,

अमर पटा ले आया।।4।।


ऐसा मेरा सतगुरू खेल रचाया खबर करो खलका में ख्याली aisa mera satguru khel rachaya khabar karo

ऐसा मेरा सतगुरू खेल रचाया,

खबर करो खलका में ख्याली,

आप अलोगत थाया।।टेर।।

 

कर चौकस चेतन की चौकी,

अरध उरध सुलजाया।

उल्‍टा पवन कंवल माही पलिया,

बंक नाल रस लाया।।1।।

 

इंडा पिंगला होय कर भेली,

सुखमण सहज मिलाया।

लग रही तार त्रिवेणी रे साजे,

अजब जरोखे आया।।2।।

 

बोरंग राग राग हुई रंग महलां,

गगन मण्‍डल गरणाया।

सुरत निरत दोऊ अरधंग्‍या,

मिलकर मंगल गाया।।3।।

 

मिल रिया जीव शिव के माही,

एक रूप निज धाया।

कहे बनानाथ सुणो भाई साधू,

लगे न जम का दाया।।4।।


साधु भाई अबगत लख्‍यो न जाई sadhu bhai abgat lakhyo na jai bhajan lyrics



मेरे साधु भाई अबगत लख्‍यो न जाई,

अबगत लिखे कोई संत सूरमा,

नूर में नूर समाई ।।टेर।।


जैसे चांद उदक में दरशे,

यूं सायब सब मांही।

ले चस्‍मा घट भीतर देख्‍या,

नूर निरन्‍तर वाही ।।1।।


दूर ते दूर उरे ते उरा,

हर हरदा के मांही।

सपना में नार गमायो बालक,

जाग पड़ी जद वाही ।।2।।


जागी जोत गगन में दरसे,

जहां देखूं जहां सांई।

ऊगा भाण बीत गई रजनी,

हरदम अन्‍दर माई ।।3।।


ममता मेट मिलो मोहन से,

सतगरु से गम पाई।

कहे ''बनानाथ'' सुणो भाई साधू,

अब कुछ धोखा नाही ।।4।।



 

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...