जो थारो मइलो कियो नहीं माने,
दोष गुरां ने मत दीजो,
भक्ति राजी व्हे तो लीजो।।टेर।।
पहले दिल अपना परमोदो,
पछे पावड़ो दीजे।
कर सरधा सतगरूजी के आगे,
हिम्मत हार मत रीजे।।1।।
चोरी जारी निन्दा पराई,
आने परी तज दीजे।
तन मन धन और शीश आपणो,
ऐ अलपण कर दीजे।।2।।
इला पिंगला छोड़ दुखमणा,
घर सुखमण का लीजे।
सतगरू दाता सेण बताई,
वो ही सेण लख लीजे।।3।।
मान सरोवर मोती निपजे,
वे मोती चुग लीजे।
सतगुरू दाता मुकत का स्वामी,
वा को शरणो लीजे।।4।।
गगन मण्डल घर नेजा फडूके,
जीव पीव मल रिजे।
दादूराम सतगरू शरणे,
जीवत मुक्ति लीजे।।5।।