आपणा गुरां री लाला याही रे पछाण,
ओलखाण बना डाल एक डमरा छाया है जी।।टेर।।
अणी काया में मंड्या बजार।
सोदागर सोदा ने आया जी।।1।।
अणी काया में रतन तळाव,
गोरम घाट कोई सूरा न्हाया जी।।2।।
आंधा रे मन हियो अणजाण,
खड़ड़ खड़ड़ नर खडिया जावे जी।।3।।
कायर रे मन भाग्यो जाय,
रणभूमि में नहीं रे सुवावे जी।।4।।
सूरा रे मन खड़ग सम्भाल,
बिना शीश नर भाला भाया जी।।5।।
लखे लखोजी लख परवाण,
भवानी नाथ बचनां का सांचा जी।।6।।