लखमाजी की महिमा ने सब हिलमिल करके गावो रे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
लखमाजी की महिमा ने सब हिलमिल करके गावो रे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

लखमाजी की महिमा ने सब हिलमिल करके गावो रे Lakhmaji ki mahima ne sab hilmil gavo re bhajan lyrics


 

लखमाजी की महिमा ने सब,

हिलमिल करके गावो रे।

संत सुधारण हार जग में,

लेलो लावो रे।

के भगती कर लेणा,

भगती से थांको जनम सुधरसी रे।

के भगती कर लेणा ॥टेर॥

 

नागौर जिला के मांयने,

लखमाजी को गांव।

अमरपुरा में जनमिया,

संत तणो परभाव।

सोलंकी तो गोत कहावे,

मालिया के घर जनम्‍या जी।

रामूदास जी पिता कहावे,

खीवण जी गुरू पाय।

के भगती कर लेणा॥1॥

 

सम्‍वत् 1807 में असाढ़,

सुद पख होय।

पूनम के दिन जनमिया,

घर-घर आणन्‍द होय।

बालपणा से भगती मनमें,

हरिकृपा से पाई जी।

सिद्ध पुरूष ज्‍यू वाणी बोले,

कमी न कांई जी।

के भगती कर लेणा॥2॥

 

रामदेव बाबा की सेवा,

करते सुबह और शाम।

झालर शंख बजावते,

ले बाबा को नाम।

मुसलमानों के मन नहीं भावे,

पूजा पाठ छुड़ावेजी।

लखमा जी से कहा प्रेम से,

क्‍यू अरड़ावेजी।

के भगती कर लेणा॥3॥

 

गरू चरणां में जावता,

डेह गांव के माय।

गाडितों ने पीछा कीना

जाय जंगल के माय।

घोड़ो से भी पीछा कीना,

तोई हाथ नहीं आया जी।

हार मानकर बासणी में,

जाय बसाया जी।

के भगती कर लेणा॥4॥

 

जुंजाला मेला में जाता,

पूठी टूट गई गाड़ी की।

हरता फरता आया रामदे,

धोली-धोली दाढ़ी थी।

खेजड़ी ने पाड़ी रामदे,

पूठी बणाई भारी जी।

भगत ने मेला में भेज्‍यो,

भली बिचारी जी।

के भगती कर लेणा॥5॥

 

जैसलमेर पधारिया,

सतसंग भगती काज।

आसण लगाया बाग में,

लगे बजाने साज।

सुबह शाम जब कीनी सेवा,

बाग हरियो हो जावे जी।

राजा राणी परजा सारी,

दर्शण आवे जी।

के भगती कर लेणा॥6॥

 

रींकजी मोची का बेटा,

पहुंचा हरि के धाम।

लाश लेयकर आवियो,

देखे लोग तमाम।

जिन्‍दा कर दो बाबाजी,

शरणे थांकी आयो जी।

गंगाजल को छांटो देकर,

पुत्र जिवायो जी।

के भगती कर लेणा॥7॥

 

जुजाला का मन्‍दर की,

लागी खेंचाताण।

माको माको सब कहे,

कोई सके नहीं जाण।

बिन कूंच्‍या जो तालो खोले,

मन्‍दर वांको रहवेलो जी।

लखमाजी ने तालो खोल्‍यो,

सुणियो हेलो जी।

के भगती कर लेणा॥8॥

 

सतसंग माये जावता,

पाणत करता छोड़।

बाबा रामदे आवता,

लखमाजी की ठोड़।

बाबा जी कृपा से सारा,

खेतों खेत भर जावे जी।

चड़सवान ने छुट्टी देकर,

घरे खन्‍दावे जी।

के भगती कर लेणा॥9॥

 

सम्‍वत् 1887 में,

आसोज बुदी छठ दीन,

अस्‍सी बरस की उम्र में,

जीवत समाधी लीन।

समाधि का दर्शण करता,

पाप सभी कट जावे जी।

भैरूलाल भगता की महिमा,

कह कर गावे जी।

के भगती कर लेणा॥10॥


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...