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सन्‍तों भगती सतगरू आनी नारी एक पुरूष दो जाया santo bhakti satguru aani naari ek purush do jaya

 

सन्‍तों भगती सतगरू आनी,

नारी एक पुरूष दो जाया,

बूझो पंडित ज्ञानी।।टेर।।

 

पत्‍थर फोड़ गंगा एक निकली,

चहुं दिस पाणी पाणी।

वां पाणी से दो पर्वत डूबे,

दरिया लहर समानी।।1।।

 

उड़ माखी तरवर को लागी,

बोले ऐके बाणी।

वां माखी के माखा नाहीं,

गर्भ रहा बिन पाणी।।2।।

 

नारी सकल पुरूष वे खाये,

ताते रहे अकेला।

कहे कबीर जो अबके बूझे,

सोई गुरू हम चेला।।3।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...