नो नागल ने शुद्ध कर देखो
अवतारा विश्राम लिया ।
रावत भोज के घरे पधारीया
साडु जी सरा लिया हो जी ॥ 1 ॥
देव पुरी सु देव पधारीया
गोटा में गमसाण की किया ।
मथरा डुंगरीया आई माता
हीरा ने संग में किया हो जी ॥2॥
माघ का महिना पक्ष चानणा
साते शनिश्चर वार लिया ।
काकर फुटी कंवल पारसीया
भड़ जतरा बेतार किया हो जी
माता साडू करे आरती
धन-धन धर्म उदये विया ।
भोज की भक्ती के कारण
कृष्ण का पत्र लिया हो जी ॥4
माला घर में आप पधारीया
सीन्धु भड़ विश्राम लिया ।
चोसु भाट ने जीवन किदा
गुजरी बनी को तार लिया हो जी ॥5॥
आधर धोवतीया तपे आपके
तलेटी स्नान किया ।
हमीर सिह ने परचों दीदो
सारंग ने सरजीव किया हो जी
छ भागी भुण मदन मेन्दुजी
पांचवा उदल नाम विया ।
पांच भाया मल थापी थापना
धरा परे अमर नाम किया हो जी ॥7
अनेका ने आगे उबारीया
जुग-जुग परचा पातरीया ।
शंकर नाथ के आओ आरोध्या