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हरिजन भज जन्‍म सुधारे ज्ञान ध्‍यान गाढ़ा अन्‍त गर्वा harijan bhaj janm sudhare gyan dhyan gaada



हरिजन भज जन्‍म सुधारे,

ज्ञान ध्‍यान गाढ़ा अन्‍त गर्वा,

विषय व्‍यवहार निवारे।।टेर।।


साद सोहि वीरा मन खोजे,

गुरूका शब्‍द विचारे।

शब्‍द विचार उन मुनी आणे,

धुन धणया सूं धारे।।1।।


साध कहावे समझ बिन सूना,

चिटियोंड़ा चोरी धारी।

अंजन राता श्‍वान लख  कामी,

नुगरा नरक पधारे।।2।।


पाखण्‍ड धार पण्डि़त होय बैठा,

अंधला फिरे अंधारे।

करणी रा होण करे करड़ाई,

हुय हुय करता हारे।।3।।


भांधिया सूंं भाव पांव हित परसे,

अलन मोह निवारे।

ज्‍यारी बुद्ध निर्मल पंथ वैसे,

अंग अभिमाना धारे।।4।।


सन्‍त निजारी श्‍याम धर्म सरसा,

सांचा सिमरण सारे।

कह ''लिखमो'' सन्‍तारे शरणे,

तारण तिरण उधारे।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...