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इशक की आशिक जाणे बात सतगरू बाण दिया है शब्‍द का ishq ki ashiq jane baat satguru baan diya hai shabd ka bhajan lyrics

इशक की आशिक जाणे बात,

सतगरू बाण दिया है शब्‍द का,

घूम रह्या दिन रात ।।टेर।।

 

गूंगे के मन सपनो आयो,

सूतो सेजा रात ।

उठ परभात कह्यो नहीं जावे,

सैन करे वो हाथ ।।1।।

 

मन भंगवा विरह की भभूती,

प्रेम कटोरा हाथ ।

कोई नर पीवता हो तो आओ,

चलो हमारे साथ ।।2।।

 

अंतर गति की कुण आगे कहूं,

सभी अभेदू साथ ।

लागी डोर डोर नहीं छूटे,

जाणे दीनानाथ ।।3।।

 

सतगुरू मुझ पर कृपा कीनी,

सर पर धरिया हाथ

हरीराम जोग की महिमा,

नहीं बैरागी रे जात ।।4।।

ऐसी आरती घट ही में कीजो राम रसायण निशदिन पीजो aisi aarti gat hi me kijo Ram rasayan nisdin pijo

 ऐसी आरती घट ही में कीजो।

राम रसायण निशदिन पीजो।।टेर।।

 

घट ही में पांच पचीसो पण्‍डा।

घट ही में जाग रही जोत अखण्‍डा।।1।।

 

घट ही में पाती रे फूल चढ़ावे।

घट ही में आतम देव मनावे।।2।।

 

घट ही में देवल घट ही में देवा।

घट ही में सहज करे मन सेवा।।3।।

 

घट ही में शंख सकल घन तूरा।

घट ही में प्रेम परस निज नूरा।।4।।

 

घट ही में गावे हरि का दासा।

घट ही में पावे पद परकाशा।।5।।

 

जन हरिराम राम घट माही।

बिन खोज्‍या कोई पावत नाही।।6।।

या दुरबल की अरदास रामदे अरज करू थाने ya durbal ki ardas Ramde araj karu thane

या दुरबल की अरदास,

रामदे अरज करू थाने।।टेर।।

 

अजमलजी ने मल्‍या रामदे,

वचन दिया वाने।

पीर आय प्रेम गरू पोढ्या,

दुनियां तो जाणे।।1।।

 

लद बालद बणजारो आयो,

जा पूछ्यो वाने।

मसरी को थे लूण बणायो,

दुनियां तो जाणे।।2।।

 

भैरू दाणो अखाड़े लडियो,

जा पकड्यो वाने।

पकड़ भुजा धरणी पर पटक्‍यो,

कंस मार्यो कान्‍हे।।3।।

 

कूड़ी कपटी लोभी लालची,

ये थारे पाने।

हरिराम चरणां को चाकर,

दे दरसण माने।।4।।

गरूजी बिना जीवड़ो कैसे पावे धीर guruji bina jeevdo kaise pave dheer

गरूजी बिना जीवड़ो कैसे पावे धीर,

कैसे पावे धीर जीवड़ो कैसे पावे धीर।।टेर।।

 

जो जन सतगरू भेटिया,

राजा भया फकीर।

राज पाट खजाना छोड्या,

अविद्या छोड़ जंजीर।।1।।

 

गरू मिलन की रा बताऊ,

मिले नीर में नीर।

गुरू मुख बादल प्रेम का,

सुख सागर की तीर।।2।।

 

भाग भला जो सतगरू पाया,

लागो कलेजे तीर।

देवा माये देव गरूजी,

पीरां माये पीर।।3।।

 

लखमीराम गरू शरणा माये,

निज मन बांधी धीर।

हरिराम की बिणती रे,

भाग पुरबलो हीर।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...