संत आदूूदास जी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संत आदूूदास जी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

जब जब भीड़ पड़ी भगता में आप लियो अवतार jab bhid padi bhagta me aap liyo avatar

 

जब जब भीड़ पड़ी भगता में,

आप लियो अवतार।

सांवरिया की लीला ऐसी है अपरम्‍पार।।टेर।।

 

जी सायब ने सृष्टि रचाई,

वो सायब सब के माई।

एक पलक में खलक रचाया,

उनका कोई अतबार नहीं।

 

आपू थापे आपू ही उथापे,

ओरां की माने नाही।

बेमुख होकर अरजी करता,

वा अरजी सुणता नाही।

 

अरजी के ऊपर मालिक रहता,

अपने आप आधार।।1।।

 

नेम करे कोई धरम करे,

कोई तीरथ को जाता भाई।

तरह तरह की देख मूरता,

अकल कियो माने नाही।

 

जल पत्‍थर की है सब पूजा,

और देव दरसे नाही।

मनोकामना पूरण करता,

ऐसा है समरथ सांई।

 

जड़ चेतन में बाहर भीतर,

व्‍याप रिया एक सार।।2।।

 

ज्ञान करे कोई ध्‍यान करे,

कोई उलटा पवन चलाता है।

दस इद्रियो का दमन करके,

प्राणों में प्राण मिलाता है।

 

खेचर बूचर अगम अगोचर,

कोई उनमुन को धाता है।

चांद सूरज का साज सरोदा,

एकण घर में लाता है।

 

पड़ा पड़ा कोई खड़ा खड़ा,

कोई हरदम रेहवे होशियार।।3।।

 

पांचों इन्‍द्री पांचों प्राण,

वांके बन्‍ध लगाता है।

मुनि होकर मुख नहीं बोले,

सेनी में समझाता है।

 

गड जाता कोई उड़ जाता,

कोई अगनी में जल जाता है।

हजार बरस की देहि राख लेवे,

तो ही  भेद नहीं पाता है।

 

आठ पहर चौसठ घड़ी में,

लाग रियो एक ही तार।।4।।

 

जोगी होकर जटा बढ़ावे,

पगा अबाणा चलता है।

षटरस भोजन हरदम जीमे,

लुका भोजन नहीं खाता है।

 

शिष्‍य उनका कहना नहीं माने,

बुरी तरह चिल्‍लाता है।

बूढ़ा हिया जद रोग सताता,

पड़ा पड़ा दु:ख पाता है।

 

पाखण्‍डी परला में जावे,

जदी लेवे अवतार।।5।।

 

ज्ञान ध्‍यान मैं कुछ नहीं जाणू,

संत की सेवा करता भाई।

आप जुगत मुगत के दाता,

उबार लो चरणां माई।

 

तीन लोक में हुकम आपका,

और पता हिलता नाही।

आप बिना कुण सुणता मेरी,

और देव दरसे नाही।

 

आदूदास की या ही वीणती,

बेड़ा लगा दीज्‍यो पार।।6।।




करलो चरण कमल का ध्‍यान ज्ञान गरू गम से पाया है karlo charan kamal ka dhyan gyan guru gam se paya hai

 

करलो चरण कमल का ध्‍यान,

ज्ञान गरू गम से पाया है।।टेर।।

 

ऐसा सतगरू शब्‍द सुणाया,

तन मन तरपत कर दी काया।

समझा कर सूता जीव जगाया,

मन का दुतिया भाव मिटाया।

गरू जगत को तारण आया है।।1।।

 

सुरता सिमरण में धुन लागी,

नागण नाभ कंवल में जागी।

वो तो बड़ा बड़ा ने खा गी,

उनको मारे कोई संत बड़भागी।

पवन नाभी पलटाया है।।2।।

 

उतर्या तरबिणी की घाटी,

तां पर त्रिगुण त्राप मिटादी।

भंवरा त्रकुटी में डारी,

पुरूष को दर्शण पायो।

समाधी ज्ञान लगाया है।।3।।

 

वहां से अमृत धारा छूटी,

वस्‍तु मोल अमोलक लूटी।

वामे फरक रती नहीं झूठी,

पुरूष अमर केवायो है।।4।।

 

वहां नहीं चांद सूरज दिन राती,

जल रही अखण्‍ड जोत बिन बाती।

कर रही पिया से वो बाती,

अखण्‍ड जोत प्रकाशी।

सुरता नुरता नाच नचाया है।।5।।

 

गोविन्‍दराम बलिहारी,

मनसा पूरण करदी मारी।

आदूदास सुमरण में धुन लागी,

निरभे सुख सागर न्‍हाया है।।6।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...