गणपत देव बड़ा मतवाला Ganpat dev bada matwala bhajan lyrics
बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता babuji mera tikat kyu leta
आकड़ा मीठो होजा मारा भाई मीठो होया गणोई सुख पाये aakada mitho hoja mara bhai mitho hoya ganoi sukh paye
मीठो होया गणोई सुख पाये,
सतगरू शरणे जाई,
आकड़ा मीठो होजा मारा भाई।।टेर।।
भरम करम को ऊबो आकड़ो,
जहर गणो उन माई।
अमृत बूंद उण पर बरसे,
जहर कभी न जाई।।1।।
आक चन्दन जोड़ो रे ऊबो,
बास सुगन्ध गई पियाला माई।
फूलां में थारे भंवरा भुवे,
कलिया काम नहीं आई।।2।।
आकड़ा की लकड़ी काम नहीं आवे,
बल जल राख हो जाई।
चन्दन लकड़ी काट भाड़ ने,
मन्दर मूरत चढ़ाई।।3।।
पदमराम परवाणी मलग्या,
लाडूजी सेण बताई।
गुजर गरीबो कनीराम बोले,
गांव गोरख्या माई।।4।।
गांव करेड़ा में जांवा ला कालाजी का दरसण पावांला ganv kareda me javala Kalaji ka darsan pavala
गांव
करेड़ा में जांवा ला,
कालाजी
का दरसण पावांला।टेर।।
छालर
मोगर गाय कालाजी के नाम की।
जावणी
चढ़ाबा ने जांवाला,कालाजी...।।1।।
एक
तो बालूड़ो कालाजी के नाम को।
पालणो
बंदाबा ने जांवाला,कालाजी...।।2।।
एक
तो रातीजगो कालाजी के नाम को।
रात
जगाबा ने जांवाला,कालाजी...।।3।।
एक
तो धोक वा कालाजी के नाम की।
जोड़ा
की धोक दरावाला,कालाजी...।।4।।
एक
तो गोल वा कालाजी के नाम की।
गोल
पहराबा ने जांवाला,कालाजी...।।5।।
गुजर
गरीबो कनीराम बोले।
चरणां
में धोक लगावांला।।6।।
थने बार बार समझाऊ मन मइला परो समझ मारा भाई thane bar bar samajau man maila paro samaj mara bhai
थने बार बार समझाऊ मन मइला,
परो समझ मारा भाई।।टेर।।
यो तो धागो मोटा मिल को,
धोया से उजलो होई।
पर तिरिया को संग परो छोड़ दे,
आला चाम के माई।
लोक संसारी करे थारी निन्द्या,
अन्त नरक में जाई।।1।।
पाणी गत तो काछबो जाणे,
कर गोसन गम खाई।
गोली के भरोसे उठ नुगरो,
धाकल माने नाई।।2।।
भजना को ज्ञान भजन वाला जाणे,
मूरखा ने गम नाई।
गींता को ज्ञान गीत वाली जाणे।
हंसबा वाली ने गम नाई।।3।।
ज्ञान तो माने भजन को दीनो,
अक्षर दीनो ओलखाई।
गुजर गरीबीऊ कनीराम बोले,
गांव गोरख्या माई।।4।।
बारह पेड़ी बावन कचेड़ी हुकम झरोखा लागे है 12 pedi 52 kachedi hukam jarokha lage hai
सुरता भायी बाजी का बन्दा में हेठा वांका गुण गांविन्द दोई मीठा surta bhayi baaji ka banda me hetha
हाक्योड़ी जहाज जंगल में जावे,
केर गणे नहीं कांटा।
जार जोर ने भेला कीदा,
खाटा गणे न मीठा ।।1।।
सुरता भायी बाजी का बन्दा में हेठा,
वांका गुण गांविन्द दोई मीठा।।टेर।।
गुल ने छोड़ खल खाबा चाल्या,
घरे गास्या के बेटा।
सीरा ने छोड़ मलीदो खावे,
घीली गांठ का गुठेला।।2।।
या पाटी तो लाम्बी चौड़ी,
है सखी पार न पाया पेठा।
तीन धोरा बहत्तर क्यारा,
पीवे असंग जुग पेठा।।3।।
हण तण वण तण तेल नीपजे,
औरी नीपजे इमे सेंठा।
अणी बंधा में साध सुधरिया,
साध साध सब सेठा।।4।।
करम करेड़ा में कोगत लागा,
जाय जडाणा में भेटा,
गुजर गरीबो कनीराम बोले,
गरीब गरीब सब सेठा।।5।।
बूझू थाने मेला बतादे मेरा भाई buju thane mela bata de mera bhai
मेला बतावो पूरा बतावो,
कतरा सताऊ मेला सई।
बूझू थाने मेला बतादे मेरा भाई।।टेर।।
रगेसर साध का कुण घर मेला,
कुण संत आया मेला माही।
मेला में मेला सर्यादे भेला,
नवां साध हीया वांही।।1।।
मकन जी साध के कुण घर भेला,
कुण संत आया मेला माही।
मेला में मेला रतनादे भेला,
नवां साध हीया वांही।।2।।
घासाजी साध के कुण घर भेला,
कुण संत आया मेला मांही।
मेला में मेला तारादे भेला,
नवां साध हीया वांही।।3।।
दुर्वासा साध के कुण घर भेला,
कुण संत आया मेला माही।
मेला में मेला द्रोपदा भेला,
नवां साध हीया वांही।।4।।
शुक्रा जी साध के कुण घर भेला,
कुण संत आया मेला माही।
मेला में मेला संजादे भेला,
नवां साध हीया वांही।।5।।
पदमगरू परवाणी मलग्या,
लाडुजी सेण बताई।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ बोले,
गांव गोरख्या माही।।6।।
मेला बूजो तो मेला बताऊ शिव शक्तिऊ मेला सई mela bujo to mela batau shiv shakti mela sai
मेला बूजो तो मेला बताऊ,
शिव शक्तिऊ मेला सई।
केऊ थाने मेला हेवो माही।।टेर।।
पहला जुग पन्द्रह की भक्ति,
पांच सरे कहाई।
पांच करोड़ परले गिया,
पांचां काकण भराई।।1।।
दूजा जुग में इक्कीसा की भक्ति,
सात सरे कहाई।
सात करोड़ परले गिया,
साता काकण भराई।।2।।
तीजा जुग में सताईसा की भक्ति,
नौ सरे कहाई।
नौ करोड़ परले गिया,
नौवां काकण भराई।।3।।
चौथा जुग में छत्तीसा की भक्ति,
बारह सरे कहाई।
बारह करोड़ परले गिया,
बारह काकण भराई।।4।।
पदमगरू परवाणी मलग्या,
लाडुजी पिता कहाई।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ बोले,
माता चांदी बाई।।5।।
भूखो अंजन भाटो चाबे पोला पेट बणाया है bhukho anjan bhato chabe pola pet banaya hai
आठ चराचर न्यारा न्यारा,
भूख बराबर भाया है।
भूखो अंजन भाटो चाबे,
पोला पेट बणाया है।।टेर।।
अन्त:करण अंजन में आया,
मदवे पाणी पाया है।
अहंकारी नर अलगा रहग्या,
चेतन साप चढ़ाया है।।1।।
साबत कालो ऊपरे सांवलो,
ऊपर छाबण छाया है।
तार पलीता बीजल सारा,
चेला ने चेताया है।।2।।
हाथ हाले ज्यूं हाले कबाण्या,
पेड़ा पांव बणाया है।
इण टेशन पर दे फटकारो,
उण टेशन पर आया है।।3।।
पदमगरू परवाणी मलग्या,
लाडुजी सेण बताया है।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ बोले,
गुण गाड़ी के गाया है।।4।।
एक मायूं आवे बाबो दोय में समावे ek maayu aave babo doy me samaave
एक मायूं आवे बाबो दोय में समावे,
चढ़ग्यो भजन शिखरगढ़ में ।।टेर।।
उगम गोखड़ा पर अमृत बन्टे,
मूरख जहर किया उन में।
जहर जरिया संत मरजीवा,
उकलग्या अदर बम्ब में।।1।।
दखण गोखड़ा पर दीपक जळे,
दरपण पलट देख उन में।
हीरा बरणी कसन सरूपी,
जागी जोत गगन घर में।।2।।
पछम गोखड़ा में नंगार खाना,
बाजा अन्त बाजे उन में।
ढोल नंगारा नोबत बाजे,
झालर ताल सुणी सुन्न में।।3।।
उत्तर गोखड़ा में पहरा जो पलटे,
धम्म घड़ी पुल बन्दी उन में।
बास सुगन्धा परमल आवे,
झण्डा पांच उड़े उन में।।4।।
गोखड़ा का बीच माये कैलाश दरसे,
महादेव दरसे मन्दर में।
जरेली जरे जठे अमृत बरसे,
वो ही जल चढ़े शिवशंकर के।।5।।
खेचरी बूचरी चाचरी माया,
उनमुन चढ़गी अगोचर में।
त्रिकुटी का खण्ड चढ़ भृकुटी में,
आया दरसण करले दसवां में।।6।।
महल त्रबीणी अणी आगे देखो,
जीणा रूप नजर के में।
लगनी के लारे लारे दूरदसा लाग्या,
बालो हिन्दे ब्रह्मण्ड में।।7।।
रूप है जो अरूप है जो माया,
रूप अरूप केबा का नाय।
हाले नहीं होठ कण्ठ नहीं जेले,
काना मात अखर में नाय।।8।।
करोड़ की जोड़ मेटी ही बताया,
एक अखण्ड पद चौथा में।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ बोले,
धन बलिहारी मारा सतगुरां ने।।9।।
कंवल माला दीपक उजाला झलमल जोत जगीसा kaval maala deepak ujala jhalmal jot jagisa
कंवल माला दीपक उजाला,
झलमल जोत जगीसा।
कनीराम सब में राम धणी सा।।टेर।।
प्रथम कंवल फूल की महमा,
कलिया चार गणीसा।
मूसा वाहन गणपत देव,
रद्ध सद्ध शक्त बणीसा।।1।।
दूजा दूजा कंवल फूल की महमा,
कलिया छ: गणीसा।
हंसा वाहन ब्रह्माजी देवा,
सांवत्रा शक्त बणीसा।।2।।
तीजो कंवल फूल की महमा,
कलिया दस गणीसा।
गरूण वाहन विष्णुजी देवा,
लक्ष्मीजी शक्त बणीसा।।3।।
चौथा कंवल फूल की महमा,
कलिया बारह गणीसा।
नन्द्या वाहन शंकर देवा,
गवराजी शक्त बणीसा।।4।।
पांचवां कंवल फूल की महमा,
कलिया षोडष गणीसा।
अरबद वाहन जीवाजी देवा,
इच्छा शक्त बणीसा।।5।।
छटा कंवल फूल की महमा,
कलिया दो गणीसा।
पवन वाहन पुरूष देवा,
मनसाजी शक्त बणीसा।।6।।
सातवों कंवल फूल की महमा,
कलिया सहस गणीसा।
रेमत वाहन निरंजन देवा,
सुरताजी शक्त बणीसा।।7।।
आठवां कंवल फूल की महमा,
कलिया अन्त गणीसा।
प्रेम वाहन अबगत देवा,
समता शक्त बणीसा।।8।।
फूलां में फूल गण्या
भाई साधू,
कलिया में कलियां गणीसा।
गुजर गरीबो कनीरामजी बोले,
चीजां और गणीसा।।9।।
जाग रामा आंदी ने सुजादे मारा सांई jaag Rama aandi ne sujade mara saai
आगे औतार धार गणां काम सार्या,
मारी बैला नीन्द का आई।
जाग रामा आंदी ने सुजादे मारा सांई।।टेर।।
सकासुर ने मार्यो जदी,
मच्छ होई जागो जल कमण्डल मांई।
बध्या आप हिया विस्तारा,
सायर में समायो नाई।।1।।
समंद बलोयो जदी रतन काढियो,
सात सायरा के मांई।
चवदा रतन जतन कर काढ्या,
बस दाणा के तांई।।2।।
सहसाबाहु ने मार्यो जदी,
कन्हैयो होय जागो कान धीन के तांई।
कतरी मार राख्या नहीं खत्री,
जात बणाबा के तांई।।3।।
अरणाइक ने मार्यो जदी,
बाराहीत होई न जागो अणी पृथ्या के तांई।
एक डाढ़ में दाणा दलिया,
दूजी में धरण ठहराई।।4।।
हरणाकुश ने मार्यो जदी,
सिंग होय जागा भक्त प्रहलाद के तांई।
नद बदाने पेट परनाल्या,
फकड़ पूजा के मांई।।5।।
रावण ने मार्यो जदी,
राम होय जागो भक्त विभिषण तांई।
रावण मार विभिषण धर्या,
रागस राख्या नाही।।6।।
गढ़ मथरा में कन्हैयो होय जागो,
देव देवकी तांई।
कालीदह में
नाग नाथ्यो,
कूद पड्यो जल माही।।7।।
माता साडू के देव होय जागा,
ग्यारमी कला के मांई।
आंधा ने आख्या बांझड़ी ने पुत्र,
कोड्यां को कलंक जड़ाई।।8।।
गढ़ रूणेजा में राम होय जागा,
बांझ अजमल के तांई।
दे ठोकर भैरू राक्षस मार्यो,
खाली भोम बसाई।।9।।
कलजुग में जगदीश होय जागो,
सती साधां के तांई।
समयो देख भूले मती दाता,
बैठो हूं बक में माई।।10।।
बल ने छलियो जदी,
बावन होय जागो धरण के माही।
सुखी लकड़ी ने तण कर पकड़ी,
बुद के ब्रह्माण्ड की मांई।।11
ग्वाल बना गायां दु:ख पावे,
आण उबारो ढील कांई।
मूं भीडली गाय सदा सीगड़ी,
राम नाम गाल मेली गाई।।12।।
हेवारे हजारी माथे आप चढ्या,
रेण अंधारी के मांई।
भाला की अण्याऊ जाला जाड्या,
सज्या सुखमण के मांई।।13।।
साल चौसठो वर्ष गुणीसो,
चेत मास के मांई।
पड्वा तिथि शुक्ल पक्ष,
बार शुक्र के मांई।।14।।
पदमगरू परवाणी मलग्या,
लाडुजी सेण बताई।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ बोले,
गांव गोरख्या मांई।।15।।
जल जइयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE
राम के नाम बिना रे मूरख राम के नाम बिना रे, जल जइयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...
