आदुु अन्त करूं थांकी सिवरणा, जुंगा-जुंगा थारी करा सिवरणा।मारा खोलो गिगन घर ताला,गणपत देव बड़ा मतवाला।।टेर।।
आपने सिंवरिया अगम की सुझे,
सुद्ध बुद्ध देबा वाला।
शंकर जी का लाल कुवाया,
पारवती जी का बाला।।1।।
प्रथम नमन करूं आपने,
काटो करमां का जाला।
सिर पर हाथ धरो मेरे दाता,
रिद्धि सिद्धि देबा वाला।।2।।
चार जूगां में अगम पुजाया,
जागिया गुरूजी का बाला ।
जाणिया जो तो करणी करग्या,
जाके घट में होग्या ऊजाला।।3।।
पदमगुरू परवाणी मिलिया,
लाडूरामजी का बाला।
गुर्जर गरीबीऊ कनीरामजी बोले,
गांव गोरख्या वाला।।4।।
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