मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।टेर।।
मारे गरूदेव घर आया,
मारे हरदे आणन्द छाया।
मारा भरम करम सब भागा सा,
ऐसी पड़ी सुमार ।।1।।
मारे घर बादल गरणाया,
मारे बिजली जोत सवाया।
मारे आंगण मेहा बरसे सा,
बरसे अमरत धार ।।2।।
मारे आंगण मोती बरसेे,
मारो देख देख मन हरसे।
मारे हो गया मन का चाया सा,
हो गया बेड़ा पार ।।3।।
''जीवाराम'' यू गावे,
माने गरूदेव मन भावे।
केवटिया बण कर आया जी,
भव जल कर दिया पार ।।4।।