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साधू भाई सातो बार सजाई गुरू पुरषारथ ईश्‍वर कृपा sadhu bhai sato baar sajai guru purusharath ishwar kripa

 साधू भाई सातो बार सजाई।

गुरू पुरषारथ ईश्‍वर कृपा,

निश्‍चय भया पद पाई।।टेर।।

 

सोमवार सुकृत कर गाठा,

जप तप ध्‍यान धराई।

स्‍मरण सार सर्व सुख खोया,

माया रूप भुलाई।।1।।

 

मंगलवार मोज सब त्‍यागी,

जगत भोग विसराई।

तीव्र बेराग तपाया मन को,

मंगल स्‍वरूप अथाई।।2।।

 

बुधवार बोध कर युक्ति,

साधन सतसंग आई।

श्रवण मनन निदिध्‍यासन करके,

संसय मूल मिटाई।।3।।

 

गुरूवार को गुरू पद जाण्‍या,

भ्रम रिया नहीं कोई।

लागी लगन मगन मन खोया,

गणण तार खिचाई।।4।।

 

शुक्रवार को शुभ पद धरिया,

निर्गुण मंदिर माई।

अटल अगोचर सुकृत सागर,

दर्शण किये अग जाई।।5।।

 

थावर वार तिथि उलट समाया,

निज स्‍वरूप सुखदाई।

आय न जाय अथिर थिर नाही,

सदा अद्वेत अजाई।।6।।

 

सूरजवार ज्ञान का सूरज,

दशो दिसा चमकाई।

रामप्रकाश अविद्या तम भागा,

आप एकरस थाई।।7।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...