माल जी ओ राज,
घड़ी घड़ी समजाऊ वो रावल माल,
समज्योडो होवो जीणोडे मारग हालो हो जी।
आपणा गुरां को मारग झीणो हे वो राज।
होई जावो साध सुधर जावे काया हो जी।।टेर।।
ऊण्डा ऊण्डा नीर अथंग जल भरिया।
तेरूड़ा रो थाग कोनी आयो रावल माल।।1।।
परण्योरी नार पियरया में हे जी।
वां ने आणो कर लावो रावल माल।।2।।
ऊसर रे खेतां में बाला बीज मती भावो।
गांठड़ी रो रतन गमावो रावल माल।।3।।
सुबर रे घोडियां पर बाला जीण मत मांडो।
वोई नर परला में जावे वो रावल माल।।4।।
दिल मांय कपट कमर मांये छुरियां।
साध कणी विध कुवायो वो रावल माल।।5।।
घर की रे खांड खारी जहर लागे।
गुड़ तो चोरी को मीठो लागे रावल माल।।6।।
घर में घास्या घर में ढोलिया।
पर घर पोडण जावे रावल माल।।7।।
घर में आम्बा घर में आमल्या।
पर घर चूखण जावे वो रावल माल।।8।।
कड़वा रे नीम निम्बोली वारी मीठी।
वां में मसरी कुण घाली रावल माल।।9।।
पेला की नार मारग माथे ऊबी।
बेनड़ कह बतलावो रावल माल।।10।।
दोय कर जोड़ राणी रूपादे बोले है जी।
भाटी तो उगमजी की चेली हे वो राज।।11।।