थने बार बार समझाऊ मन मइला,
परो समझ मारा भाई।।टेर।।
यो तो धागो मोटा मिल को,
धोया से उजलो होई।
पर तिरिया को संग परो छोड़ दे,
आला चाम के माई।
लोक संसारी करे थारी निन्द्या,
अन्त नरक में जाई।।1।।
पाणी गत तो काछबो जाणे,
कर गोसन गम खाई।
गोली के भरोसे उठ नुगरो,
धाकल माने नाई।।2।।
भजना को ज्ञान भजन वाला जाणे,
मूरखा ने गम नाई।
गींता को ज्ञान गीत वाली जाणे।
हंसबा वाली ने गम नाई।।3।।
ज्ञान तो माने भजन को दीनो,
अक्षर दीनो ओलखाई।
गुजर गरीबीऊ कनीराम बोले,
गांव गोरख्या माई।।4।।
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