बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता babuji mera tikat kyu leta


मारो खर्चा मालिक पूरे,
मैं वाका नाम पे रेता।
बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता । ।

तीन गुणा का डिब्बा बणाया,
मन का इंजन जोता।
काम क्रोध रा फुक्‍या कोयला,
अणि में चेतन सिटी देता ।।1।।

तीर्थवासी आया रेल में,
आवागमन में रेता।
होय निरंजन फिरा जगत में,
कोड़ी पास नहीं रखता ।।2।।

राता पिला सिग्नल बनाया,
सोहंग तार खिंचता।
अला अलद का लीना आसरा,
ऐसी लेन जमता।।3।।

निर्भय होकर आया जगत में,
दाम पास नहीं रखता।
माया की नही बांधा गाँठड़ी,
मैं तो वह वनियारा में रेता ।।4।।

अमरापुर से चिट्ठी उतरी, 
हेला पाड कर देता। 
गुर्जर गरीबीऊ कनीरामजी बोले,
अमर पास कर लेता ।।5।।



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