पंछीड़ा लाल आछी पढियो रे उल्टी पाटी।।टेर।।
गंगा न्हाय गौमती न्हायो,
न्हायो तीरथ साठी।
झुठ जाल झपट नहीं छोड़ी,
राखे मन में ऑंटी।।1।।
औरत ने छन्याल बतावे,
मारे लेकर लाठी।
कीड़ान्दा गंडक ज्यूं दौड़े,
दे गलिया में चांटी।।2।।
अइल्या भइल्या ने नूते नत,
जीमें साथी रोटी।
बुढ़ा मायत बिलखे वां नेे देवे ना,
बली बाटी।।3।।
आछी अकल सीख्यो कूका,
भणग्यो बारा पाटी।
ऊबो ऊबो मूते ढांडा,
खोल पेन्ट की टाटी।।4।।
अरे डोलमा डील बणायो,
खाय खाय ने माटी।
अपणां जीबा खातर थू,
कतरा की गर्दन काटी।।5।।
ओरा ने तो गेलो बतावे,
खुद चाले सेपट पाटी।
केवे ओर करे थू ओरी,
चले चाल थू रांटी।।6।।
करले भैरया मन भोलो,
पण लख चौरासी घाटी।
आगे जमड़ा पाड़सी,
दे मुंडा के डाटी।।7।।
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