सुरता भायी बाजी का बन्‍दा में हेठा वांका गुण गांविन्‍द दोई मीठा surta bhayi baaji ka banda me hetha



हाक्‍योड़ी जहाज जंगल में जावे,

केर गणे नहीं कांटा।

जार जोर ने भेला कीदा,

खाटा गणे न मीठा ।।1।।


सुरता भायी बाजी का बन्‍दा में हेठा,

वांका गुण गांविन्‍द दोई मीठा।।टेर।।


गुल ने छोड़ खल खाबा चाल्‍या,

घरे गास्‍या के बेटा।

सीरा ने छोड़ मलीदो खावे,

घीली गांठ का गुठेला।।2।।


या पाटी तो लाम्‍बी चौड़ी,

है सखी पार न पाया पेठा।

तीन धोरा बहत्‍तर क्‍यारा,

पीवे असंग जुग पेठा।।3।।


हण तण वण तण तेल नीपजे,

औरी नीपजे इमे सेंठा।

अणी बंधा में साध सुधरिया,

साध साध सब सेठा।।4।।


करम करेड़ा में कोगत लागा,

जाय जडाणा में भेटा,

गुजर गरीबो कनीराम बोले,

गरीब गरीब सब सेठा।।5।।

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