जाग रामा आंदी ने सुजादे मारा सांई jaag Rama aandi ne sujade mara saai



आगे औतार धार गणां काम सार्या,

मारी बैला नीन्‍द का आई।

जाग रामा आंदी ने सुजादे मारा सांई।।टेर।।

 

सकासुर ने मार्यो जदी,

मच्‍छ होई जागो जल कमण्‍डल मांई।

बध्‍या आप हिया विस्‍तारा,

सायर में समायो नाई।।1।।

 

समंद बलोयो जदी रतन काढियो,

सात सायरा के मांई।

चवदा रतन जतन कर काढ्या,

बस दाणा के तांई।।2।।

 

सहसाबाहु ने मार्यो जदी,

कन्‍हैयो होय जागो कान धीन के तांई।

कतरी मार राख्‍या नहीं खत्री,

जात बणाबा के तांई।।3।।

 

अरणाइक ने मार्यो जदी,

बाराहीत होई न जागो अणी पृथ्‍या के तांई।

एक डाढ़ में दाणा दलिया,

दूजी में धरण ठहराई।।4।।

 

हरणाकुश ने मार्यो जदी,

सिंग होय जागा भक्‍त प्रहलाद के तांई।

नद बदाने पेट परनाल्‍या,

फकड़ पूजा के मांई।।5।।

 

रावण ने मार्यो जदी,

राम होय जागो भक्‍त विभिषण तांई।

रावण मार विभिषण धर्या,

रागस राख्‍या नाही।।6।।

 

गढ़ मथरा में कन्‍हैयो होय जागो,

देव देवकी तांई।

कालीदह में  नाग नाथ्‍यो,

कूद पड्यो जल माही।।7।।

 

माता साडू के देव होय जागा,

ग्‍यारमी कला के मांई।

आंधा ने आख्‍या बांझड़ी ने पुत्र,

कोड्यां को कलंक जड़ाई।।8।।

 

गढ़ रूणेजा में राम होय जागा,

बांझ अजमल के तांई।

दे ठोकर भैरू राक्षस मार्यो,

खाली भोम बसाई।।9।।

 

कलजुग में जगदीश होय जागो,

सती साधां के तांई।

समयो देख भूले मती दाता,

बैठो हूं बक में माई।।10।।

 

बल ने छलियो जदी,

बावन होय जागो धरण के माही।

सुखी ल‍कड़ी ने तण कर पकड़ी,

बुद के ब्रह्माण्‍ड की मांई।।11


ग्‍वाल बना गायां दु:ख पावे,

आण उबारो ढील कांई।

मूं भीडली गाय सदा सीगड़ी,

राम नाम गाल मेली गाई।।12।।

 

हेवारे हजारी माथे आप चढ्या,

रेण अंधारी के मांई।

भाला की अण्‍याऊ जाला जाड्या,

सज्‍या सुखमण के मांई।।13।।

 

साल चौसठो वर्ष गुणीसो,

चेत मास के मांई।

पड्वा तिथि शुक्‍ल पक्ष,

बार शुक्र के मांई।।14।।

 

पदमगरू परवाणी मलग्‍या,

लाडुजी सेण बताई।

गुजर गरीबो कनीरामजीबोले,

गांव गोरख्‍या मांई।।15।।

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