मन रे जप ले जाप गुरां को परा पछन्‍ती मदा बेखरी man re jap le jaap gura ko para pachanti mada bekhari

 

मन रे जप ले जाप गुरां को,

परा पछन्‍ती मदा बेखरी,

चारू भेद उरा को।।टेर।।

 

परा बोले उरा डोले,

कट्या नहीं दु:ख जमड़ा को।

हरख शोक ममता में रोवे,

यो तो काम अडा को।।1।।

 

मान बड़ाई गुरू दुराई,

होवे नहीं कल्‍याण अतरा को।

सोजी नहीं उठा की बात उठा की,

ओ तो काम नरगा को।।2।।

 

जात बिगाड़े जुगती ताई,

हर लेवे धन धणिया को।

स्‍वारत में बोले परमारत,

नहीं खोले ओ काम ठगां को।।3।।

 

सतगरू दाता सेण बताई,

धर ध्‍यान नित वांको।

जाग्रत स्‍वप्‍न सुकोपति आगे,

तुरिया पद वांको।।4।।

 

गोकल स्‍वामी दिया नाम अनामी,

सर्यो काम गणां को।

लादूदास लगन से बेरागी,

गृहस्‍थी धरम पाको।।5।।

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