लख चोरासी ने शुद्ध कर
हेरी न्यारी न्यारी
धरणी साद गरु मलिया
गोपी नाथ धणीसा ।टेर।
पार ब्रह्म ने परलो समझयों
विषय की दोड़ करीसा
नो लख जल चर के भाई
साई करेला गुणीसा ।1।
चेलो होय चरणा नहीं लागो
मांगे हीरा मणीसा
पंछी होकर फीरे भटकता
दस लख जुण भरीसा ।2।
सादमती की सेवा नहीं कीदी
न कोई कथा सुणी सा
एकादशी भ्रंगा माये
गीसीयाँ पेट फरीसा ।3।
सत नहीं तोल्यो धर्म नहीं कीदी
पाखण्ड पुजा करी सा
बीस लाख सतावरा माये
काटेला डाल परी सा ।4।
अपणी तलवार ने दल कर राके
पार की हाथ धरी सा
तीन लाख पुशओ के माये
सूनी गाय फीरीसा ।5।
असी लाख में बहुत भरमीया
कठी ने मिलीयों धणीसा
चार लाख चवदस घट
ऊंगा मानव देवणी सा ।6।
नौ लख जल चर दस लाख पंछी
एकादशी भ्रा धणीसा
बीस सतावर तीस पशु वार
मल चोरासी बणीसा ।7।
सतसंग करले चोगस रखले
अबे माने पारक मलीसा
शंकर नाथ समज कर हेरी
पाया मोज घणीसा ।8।
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