सतगुरु अजब सुणायों ज्ञान
नोपत नरबे की बोले जी
पाँच ततव की बणी काया
उपर रंग सुरंग भराया
नौ दरवाजा गजब बणायां है
ताला मारा संत गुरु खोले ओ ।1।
प्रथम द्वारे गुणपत पाया
सुकर द्वारे हीरा बर सायौ
भर छड़ावा मोतियों की लाया है
हीर कोई हरी जन भोले हो ।2।
ले माणक उगम घर आया
सील तेज का पता लगाया
पावन पुरुस का पकड़ियाँ पाया है
चतर कोई आ वीद खेले ।3।
ओ दक्षीण आरे दर्शन पाया
पिछम द्वारे ग्यान सुणायों
हो गया अब मन का चाया है
सुरत मारी सुख भर जुलेओ ।4।
दसवे द्वारे अब चल आयो
हद बेहद बीचे आसण पाया
जेटूनाथ जोगा राम पाया
पार माने किेया पेले हो ।5।
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