चार-चार को सार समज्‍या खबर पड़े char char ko saar samjya khabar pade bhajan lyrics

 

चार-चार को सार समज्‍या खबर पड़े ॥टेर॥

 

अन्‍त:करण भायां चार बताया।

मन बुद्धि चित्‍त अहंकार॥1॥

 

गाय वृक्ष चिन्‍तामणि पारस।

चार पदारथ होय॥2॥

 

भगती का फल चार बताया।

धर्म अर्थ मोक्ष काम॥3॥

 

हाथी घोड़ा रथ और पैदल।

चार तरह की फौज॥4॥

 

साम यजु ऋग अथर्व वेद है।

ये वेद बताया चार॥5॥

 

ब्रह्मचर्य गृहस्‍थ वान सन्‍यासी।

ये आश्रम कहिये चार॥6॥

 

ब्राह्मण क्षत्रिय वेश्‍य शुद्र।

चार वरण जग माय॥7॥

 

नीति बताई चार तरह की।

साम दाम दण्‍ड भेद॥8॥

 

सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग।

जुगा की गणती चार॥9॥

 

मिट्टी अगनी जल और पावन।

ये दाग बताया चार॥10॥

 

बाल त्रिया राज योगहट।

हट पकड्या नहीं छोड़॥11॥

 

जाग्रत सपन सुसोपत तुरिय।

अवस्‍था बताई चार॥12॥

 

सालोक सामिप्‍य सारूप्‍य सायुज।

मुक्ति कहिये चार॥13॥

 

परा पछन्‍ती मदा बेखरी।

वाणी का रूप है चार॥14॥

 

और ज्ञान को पार नहीं।

कहवे भैरूलाल॥15॥

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