औरत के हरदा मांय,
ओगण आठ बसे॥टेर॥
पहला ओगण साहस कहिये,
दूजा झूठ ने जाण॥1॥
तीजा ओगण चंचलता है,
चौथा छल माया जाण॥2॥
पांचवा ओगण भय बतलावे,
छठी मूरखता जाण॥3॥
सातवा ओगण अपवित्रता,
आठवा निर्दय जाण॥4॥
भैरूलाल कहे हाथ जोड़ के,
रामायण की शाखा जाण॥5॥
औरत के हरदा मांय,
ओगण आठ बसे॥टेर॥
पहला ओगण साहस कहिये,
दूजा झूठ ने जाण॥1॥
तीजा ओगण चंचलता है,
चौथा छल माया जाण॥2॥
पांचवा ओगण भय बतलावे,
छठी मूरखता जाण॥3॥
सातवा ओगण अपवित्रता,
आठवा निर्दय जाण॥4॥
भैरूलाल कहे हाथ जोड़ के,
रामायण की शाखा जाण॥5॥
राम के नाम बिना रे मूरख राम के नाम बिना रे, जल जइयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...
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