पुरण भाग मिल्या अविन्‍यासी अबे मारी खेती नेपे आई puran bhag milya avinashi abe mari kheti nepe aayi

 

पुरण भाग मिल्या अविन्‍यासी

कृषर्ण खुब लीखाई

अबे मारी खेती नेपे आई ।टेर।


पांच बीगा की पाटी सुपी

क्यारीयां पचीस लीखाई

 काम क्रोध, मद, लोभ, अंखारा

प्रगति आकाश की थाई ।1।


ओहग बीज अरीयों धरणी में

तेज तुर्य के माई

 भुक, प्यास, आलस, निद्रा,

मृत्यु परगती, अगनी की थाई ।2।


सोहंग से उपनी आसा 

कली-कली लेराई

छल, बल, हलण, चलण,

बोलण, प्रगती पावन की पाई ।3।


आकार मुकार और ओऊंकारा

ऊरद मात्रा बाई 

हाड,मास,रूम चाम नाडि 

पगती पृथ्वी की परकाई ।4।


फल पाका वाने हरीजन चारवा

नुगरों ने गम नाई

लाल मुत्र रंगत पसीना

वीर्य जल को जोत सुआई ।5।


ज्यासे ऊगा वाई जाय पुगा

अब कुछ धोका नाहीं

शंकर नाथ छाबा भर लाया

खरीदो सन्ता भाई ।6।

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