घरे पधारो गुरुदेव
उतारू हर री आरती।टेर।
गुरजी तनड़ा की
मैं लावु हर के बातिया
मनड़ा रो तेल पुराय
उतारू हरकी आरती ।1।
सुरती नुश्ती की
मेंलु बातियाँ
प्रेम की जोत जगाय
उतारू हर की आरती ।2।
गुरु मारा असंग जुगारो
मैं भटकीयो जी
अबके माने लिदो चरणा ये लगाय
उतारू हरकी आरती ।3।
गुरु मारा नाव
धर्म ने नरबे जाणीयो
कदी ने भुलु दीना नाथ
उतारू हर की आरती ।4।
भाया सुणो समयो
जो धर्म ने धावज्यों
शंकर नाथ भाके सत परवाण
उतारू हरकी आरती ।5।
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