भक्ति है पारस खान
सुणज्यो कोई छोडो मती ।टेर।
लोहा समान सभी संसारा
पारस है मेरे गुरु दातारा
जागा जाका भाण
पारस से हो गई एक मती ।1।
लोहे का कंचन कर
द्वारा नगर माये हुआ उजारा
वाने सोज्या संत सुर ज्ञान
माने कमी न दिखे पावरती ।2।
संत गुरु सायब सोनी बन आया
पकड हाथ एरण चढवाया
शक्ति ने बनायों हार
शिव के बनाई लड़ा अती ।3।
हाथ में मारे सोवे अंगोठी
नाका नंतरी सोवे मोटी
नेण में सुरमों सार
मुखड़ा री चुपा भुलो मती ।4।
नथड़ी में नग राता पीला
हरा सफेद श्याम है ।
काला श्याम में सुरत सगाय
मारे ओरी नग है अटापटी ।5।
गोपीनाथ माने भलिया खोजी
शंकरनाथ पर हो गई मरजी
दुर्बल पर दया विचार
तुम भवसागर भैवो मती ।6।
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