मनवा अवगत अलंख अपार धार ने चुके मती रे manva avagat alakh apaar dhar ne chuke mati re

 

मनवा अवगत अलंख अपार

धार ने चुके मती रे 

चुके मती रे

वीस्ये में जुके मती रे ।टेर।

 

इस दुनिया का अजब तमाशा

अबके मुझे हुआ प्रकाश है

छोड़ जगत को हेत

चरण में चीत मन दीज्ये रे ।1।

 

माता पिता अर कुटुम्ब कबीला

सगा सोई और कपटी चेला है

भीड पडे जद भागेे वातो 

यारी फीकी रे बातो यारी फीकि रे ।2।

 

लख चौरासी में फिरता आया

धर धर रूप बहुत दुःख पाया है,

कुंजर से कीड़ी बरणाये

कदीक माने मास भंकती रे ।3।


अबके अवसर भलभल आया

मारा गुराजी मुझे आण जगाया है ।

 काटीया करम का फंद

सुरत मारी सुक भर सुती है ।4।


गोपीनाथ मिलिया गुरुदेवा

समता कर संरण गत लेवा है ।

 शंकर नाथ याद अंत की

में केवु सब रीती है ।5।

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