धन ज्यारो
भाग भाया
पूजो
समाधि हो जी ।
जन्म
मरणरी भरांत मीटा दी
आतो रीत
भाया आद अनादी हो जी ।टेर।
प्रथम परसाल
शीषु जोगी खोली हो जी,
गंगा
गोरज्या पारबती राई जादी,
राक्षस
भोम श्रंराधर कांपी हो जी,
सुर तेतीसा की मेटी वीयादी ।1।
दूजी
परसाल सतयुग माये खोली हो जी,
सरीयादे
प्रहलाद रतना दे रटना लागी,
हिरयाकुश्यप
ने हाथा सू हनिया हो जी,
सत्य धर्म
की पाव बंधा दो ।2।
तीजी
परसाल दुवापुर में खोली हो जी ।
बीलुचन्द
हरिचन्द तारादे त्रीवादी,
श्री राम
चन्द जी तो रावण ने मारया हो जी
पड़दे
पधारिया सीता सत्यवादी ।3।
चोथी
परसाल त्रेता में खोली हो जी,
देरवासा
पांडु द्रोपती रटनां लागी,
चकर चलाये
सीसपाला ने मारया हो जी
कस कला वे
हुवा बड़ भागी ।4।
पांचवी
परसाल कुल जुगमाये खोली होजी,
सुकराचारी बूल सज्यादे सत्येवादी
पापी नुगराने दाता द्रस्टी सु हनीया हो जी,
रावला
भगताने धापीयां हीमत बढ़ादी ।5।
योगतणाजी
मेरम लीख गाया होजी,
गोपी नाथ बीराज्या ब्रम गादी,
शंकरनाथ
चरणा चीत लागा होजी
माके
ग्रास उठा की ।6।
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