राजा जोगी अग्नि जल ज्यारीं उलटी रीत,
डरता रहो परसराम जी ए थोड़ी पाले प्रीत।
जल जोगी जमराज, अग्नि से अलबत डरना,
भूल चूक महाराज, भरोसो कदीए ना करना।।दोहा।।
सुता शेर जंगल का राजा,
उसे जगाणा ना चाहिए ।
राजा जोगी अग्नि जल से,
प्रीत लगाणा ना चाहिए ।।टेर।।
देकर के विश्वास किसी को,
घात लगाणा ना चाहिए ।
पर नारी के सपने में भी,
हाथ लगाणा ना चाहिए ।
अग्नि ब्रामण गौ माता के,
लात लगाणा ना चाहिए ।
सतसंगत में जाकर के झूठी,
बात बनाणा ना चाहिए,
कहणा चाहिए मुख के उपर,
चुगली खाणा ना चाहिए ।।1।।
दया धरम के शुभ कर्मों में,
देर लगाणा ना चाहिए ।
कुआँ बावड़ी रास्ता ऊपर,
कैर लगाणा ना चाहिए ।
बूढ़ा वर के स्याणी कन्या,
लार लगाना ना चाहिए ।
वक्त पड़ा अपनी जाती के,
पैर लगाना ना चाहिए ।
रहणा चाहिए सबसे मिलजुल,
बैर बढ़ाणा ना चाहिए ।।2।।
कड़वा बोल किसी के दिल पर,
चोट लगाणा ना चाहिए ।
निर्पराध पर जान बूझके,
खोट लगाणा ना चाहिए ।
दूध छोड़ कर, मद प्याले के,
होंठ लगाणा ना चाहिए ।
चोरी जुआरी वेश्या के घर,
लोट लगाणा ना चाहिए ।
सुनणा चाहिए सब लोगों की,
शोर मचाणा ना चाहिए ।।3।।
बिना बुलाए पर घर ऊपर,
भूल के जाणा ना चाहिए ।
दुश्मन के घर जाकर रोटी,
भूल के खाणा ना चाहिए ।
बहते जल की मझधार में,
भूल के नहाणा ना चाहिए ।
हरी नारायण गन्दा गाना,
भूल के गाणा ना चाहिए ।
गाना चाहिए ताल मिलाके,
बेताल उठाणा ना चाहिए ।।4।।
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