सांवरा क्यू करियो खाती,
मोरा पाछे राछ बांध न,
फरतो दिन राती ।।टेर।।
काळ पड्यो जद गयो माळवे,
भाई बंधू साथी ।
गांव गांव री गाडी पूठी,
ऊंच नींच जाती ।।1।।
घणो काम मारे पड़े बोवल से,
थर्रावे छाती ।
मोटा मोटा लकड़ देख ने,
रोटी नहीं भाती ।।2।।
रात दिन मैं खींचू करोती,
दूखे भुज छाती ।
ठण्डी रात रा कुळे हाड़क्या,
नीन्द नहीं आती ।।3।।
हाथ जोड़ ने अरज करे,
कहे बगसो खाती ।
म्हां पे महर करो दाता,
जाती दु:ख पाती ।।4।।
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