साधू भाई सदा रहूं गरू पासा,
जगत जाल में कबु नहीं आऊ,
निश दिन रहूं निराशा।।टेर।।
गरू का ध्यान धरू हिरदा में,
सुमरू सांस उसांसा।
सोहं सबद में वास हमारा,
उनमुन रहू निज दासा।।1।।
सबद हमारा सुणे जो कोई सूरा,
छोड़े तन की आशा।
तन मन त्याग करो नित ज्ञाना,
देखी बहम तमाशा।।2।।
सतगरू सेण दिनी मोही सांची,
भया ज्ञान परकाशा।
भाग्या करम भरम नहीं लागा,
हर्क शोक नहीं सांसा।।3।।
इसरदास मिल्या गरू पूरा,
रहता रहूं खुलासा।
छोटूराम शरण सतगरू के,
निर्भय लिया निवासा।।4।।
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