हर नित नेम ज्ञान गुरासा बताओ।।टेर।।
मूंड मूंडायो भयो बेरागी,
घर घर अलख जगायो।
भर जोबन में लीनी फकीरी,
ब्रह्म भेद नहीं पायो।।1।।
लेख पुरबला साजे भगती,
तो क्यो बन्स लजावो।
देखा देख फकीर होय बैठ्यो,
गुण गोविन्द का गावो।।2।।
योगी होय न जनम गमायो,
हर की लिव नहीं ल्यायो।
ओ पद पाय राम ने भूल्यो,
मनख जनम क्यो आयो।।3।।
ईसरदास मिल्या गरू पूरा,
सन्मुख नांव सुणायो।
छोटू सिमरण कर सायब का,
बार बार समझायो।।4।।
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