परम गरू सुणज्यो बिनती मारी।
शरण आया री लाज राखज्यो,
भव जल पार उतारी।।टेर।।
मीरां तारी कर्मा तारी,
तारी शबरी प्यारी।
सीता माता जाय बताई,
द्रोपदी आय उबारी।।1।।
कुन्ती तारा पद्मा श्रीया,
मलियागिरी उबारी।
पापी अधम बहुतेरा तार्या,
तारी गणिका नारी।।2।।
ध्रुव प्रहलाद नारद सारद,
शेषनाग गुण गारी।
बाल्मिकजी वशिष्ठ ज्ञानी,
और दुर्वासा आरी।।3।।
धन्ना नामदे नरसी मेहता,
सेन भगत दृढ़ धारी।
कबीर गोरख नानक सुन्दर,
दरिया दादू भारी।।4।।
कालू सजना सेऊ समन्द है,
दत्तात्रय अवतारी।
शंकराचार्य गौतम गोकर्ण,
व्यास पुत्र शुकतारी।।5।।
गोपीचन्द भरथरी हरिचंद,
मोर बलि नल ज्यांरी।
गिणती कहां कहूं संता री,
महिमा अपरम्पारी।।6।।
इसरराम मन्थ हे ज्यारे,
पूसाराम अधिकारी।
रामधन हंस दास दासन को,
रहवे शरण तुम्हारी।।7।।
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