साधू भाई मन तो बड़ो चण्डाल रे।
सतगरू ही इस को समझावे,
गले न किसी की दाल रे।।टेर।।
मन नकटो मन लुच्छो निशर्मो,
मन तो करे कुराल रे।
मन भोलो ओ भूत बणे है,
मन ही डरप सियाल रे।।1।।
ध्यान धरू तो सुरती चुकावे,
राले गिरह की जाल रे।
जग मिथ्या सांची मन माने,
खेचे कर्मा में चाल रे।।2।।
देश देश मन फरे पलक में,
हाथ पांव नहीं डाल रे।
इण मन को मोह आवे अचम्भो,
डोली गणे नहीं पाल रे।।3।।
पूसाराम मल्या बड़भागी,
साहब सामो निहाल रे।
रामधन कहे समझ मन मेरा,
फेरो निर्गुण माल रे।।4।।
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