अब मेरे गरू कृपा गऊ व्यापी।
आठो पहर अमिट रहे धीणो,
कभी न खूटे भाई।।टेर।।
धर्म अर्थ अरू काम मोक्ष ये,
चार पदारथ बताई।
यां चारां में तीन गौण है,
चोथी मोक्ष पठाई।।1।।
धर्म रूप गऊ प्रेम पात्र में,
अर्थ दूध निकलाई।
महावाक्य का जावण देकर,
दया दही जमवाई।।2।।
निश्चय बिलोवणो धर्यो धरण पर,
विचर जेरणो थाई।
नाम नेहड़ी निर्भय रोपी,
भक्ति रस्सी रखाई।।3।।
काम रूपी माखन कर न्यारो,
शेष छाछ छिटकाई।
उपराम अग्नि ऐसी लागी,
धीरज कड़ाई जमाई।।4।।
बिकार लकड़ी जलबा लागी,
मोक्ष घृत कड़वाई।
वो घृत बुद्धि को खिलायो,
जीवन मुक्त विचराई।।5।।
पुसाराम मिल्या बड़भागी,
ऐसी जुगत लखाई।
रामधन पुरषार्थ पाई,
आवागमन मिटाई।।6।।
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