मैं लाई रे बाटका में गाल,
खाले खीचड़लो।
करमा बेटी जाट की,
थू कई सोचे नन्दलाल, खाले...।।टेर।
पुजारी थारा लागे दादोसा,
मारा वे तीरथ करबा जावे,सांवरा।
सेवा थारी धणी में तो साजा,
धणी माने भोलावण दे जावे।
आई थारा मंदरिया में,
मारा घर सूं चाल,खाले।।1।।
नित बाटा जोवा, थारा पगलिया धोवा,
क्यो ना खीचड़ खाबा आवे।
थू कांई खावे अठे क्यो ना आवे,
कई दादोसा री याद सतावे।
भूखा मरता रा कानजी वो,
थारा चप जासी दोनों गाल,खाले।।2।।
कांई शंका करो, मांसू लाज्या मरो,
मैं बाहर खड़ी हो जाऊ।
जीमण री घड़ी थारे सामे खड़ी,
थारे धाबला रो परदो लगाऊ।
रूस्या होतो मानजो थे,
बृजवासी नन्दलाल,खाले।।3।।
अरजी सुणी सांवरियो धणी,
सुख सेज छोड़कर आयो।
धन भाग थारो करमा नाम थारो,
थारो खीचड़ सांवरो खायो।
भोला सा भगता सांवरा,
कहिये मदन गोपाल,खाले।।4।।
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