मन रे सतगरू कर मेरा भाई।
सतगरू बिना संगी नहीं तेरो,
अन्त समय के माई।।टेर।।
महाकष्ट जब पड़ेगो तेरे,
कोई न आडो आई।
मात पिता त्रिया सुत बंधू ,
सब ही मूण्डो छुपाई।।1।।
धन दौलत और महल मालिया,
सभी धर्या रह जाई।
जम के दूत पकड़ ले जावे,
जूता खातो जाई।।2।।
राज तेज की चले न हिमायती,
देवा की चाले नाही।
गुरू को देख दूर खड़ा होवे,
भाग जावे जमराई।।3।।
सतगरू मिले तो बन्ध छुड़ावे,
फिर निरभे करे तॉई।
अचलराम तज सकल आसरा,
चरण शरण सुख पाई।।4।।
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