नर राम भजो चित लाय,
मिल जाये सांवरियो।
तेरा मानुष जनम अनमोल रे,
तेरो जनम सफल होई जाय।।टेर।।
मानुष तन जोबन धन,
बार बार नहीं आवे।
मनवा राम भजो सब काम तजो,
ऐसो अवसर फेर नहीं आवे।
क्या सोच समझ हारे बावला,
क्या विरथा जनम गमाय।।1।।
क्या है तेरा क्या है मेरा,
चलाचली का खेला।
रेण पडियो ज्यू लिया बसेरा,
सब मिल हो गिया भेला।
मनुष्य जनम सराय है,
ज्यूं नर अंत अकेलो जाय।।2।।
जीवन सोना एक खिलौना,
इक दिन होवे टुकड़ा टुकड़ा।
काल बली तुझे पकड़ ले जावे,
तोड़ देवे थारा मुखड़ा।
बिना भजन यमराज तेरी,
कैसे करेगा सहाय।।3।।
संसार असार है सार एक है,
नाम हरि का प्यारा।
रहो नेम से रोज प्रेम से,
भवजल होवे पारा।
कहे घनश्याम राम रटन से,
चरण पदारथ पाय।।4।।
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