अजमलजी रा कंवरा आरती थारी रे ajmal ji ra kanwara aarti thari re

 

अजमलजी रा कंवरा आरती थारी रे।

थारा ने थारा नांव की रे,

सांज संवेरी रे,

मेणादे का लाला,

रूणेजा वाला आरती थारी रे।।टेर।।

 

पहला जुगा री आरती वो राणी,

रतनादे संजोई है।

राणी रतनादे रा धर्म से वो तरग्‍या,

पांच करोड़ी रे।।1।।

 

दूजा जुगा री आरती वो राणी,

तारादे संजोई है।

राणी तारादे रा धर्म से वो तरग्‍या,

सात करोड़ी रे।।2।।

 

तीजा जुगा री आरती वो राणी,

द्रोपद संजोई है।

राणी द्रोपद रा धर्म से वो तरग्‍या,

नोय करोड़ी रे।।3।।

 

चौथा जुगा री आरती वो राणी,

संजादे संजोई है।

राणी संजादे रा धर्म से वो तरग्‍या,

बारा करोड़ी रे।।4।।

 

चारू जुगा री आरती वो राणी,

रूपादे संजोई है।

राणी रूपादे रा धर्म से वो तरग्‍या,

तैतीस करोड़ी रे।।5।।

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