सत् री संगत में जाज्यो मारा भाईड़ा,
झूठ बोलज्यो मती।
झूठ बोलो तो अस्यो बोलजो,
बाकी राखज्यो मती।।टेर।।
सतसंगत में जाज्यो मारा भाईड़ा,
पाछे बैठज्यो मती।
पाछे बैइो तो अस्या बैठज्यो,
जमीं कुचरज्यो मती।।1।।
गाली गलोच सभी दीज्यो,
लाठी बावज्यो मती।
लाठी बावो तो असी बावज्यो,
गवाही राखज्यो मती।।2।।
गांजा भांग तमाकू पीवज्यो,
दारू पीवज्यो मती।
दारू पीवो तो अस्यो पीवज्यो,
जरबा खावज्यो मती।।3।।
सगाई सगपण सभी करज्यो,
नाते लावज्यो मती।
नाते लावो तो ऐसी लावज्यो,
भरम राखज्यो मती।।4।।
डाडी पट्टा चोटी राखज्यो,
मूंछ राखज्यो मती।
मूंछ राखो तो असी राखज्यो,
नींची राखज्यो मती।।5।।
कहे कमाली कबीर सा की लड़की,
साधू बणज्यो मती।
साधू बणो तो ऐसा बणज्यो,
जगत हंसाज्यो मती।।6।।
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