मीठा लागे शबरी थारा बोर खायोड़ा,
बोर खायोड़ा वे तो रस का भरयोड़ा।।टेर।।
ऐ तो स्वाद अनोखो शबरी,
रस का भरियोड़ा।
गणां दूर से आया शबरी,
आया थाक्योड़ा।।1।।
राम केवे लछमण ने भाया,
बोर पाक्योड़ा।
गणां प्रेम से मल्या शबरी,
फेर मल्या मोड़ा।।2।।
शबरी का तो भाव,
रग रग में भरियोड़ा।
भगता ऊपर दया कीदी,
द्वार से खड़ा।।3।।
हाथ जोड़ ने शबरी बोली,
मारे हृदय बसियोड़ा।
दुरबल ने तो दरसण दीदा,
लेख लिखयोड़ा।।4।।
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