देव हेवे भाटा मांई,
जल में डूबे नाहीं।
साधू भाई भाटा में देवता नाहीं।।टेर।।
टांकी हथौड़ाऊ गाठी खोदी,
मूरत पाट बिठाई।
घुड़ जावे ज्यूं गाठी कीदी,
भींत भीड़ के मांही।।1।।
घड़ चपन्यो चांदी को छेड्यो,
नेत्र आंख बणाई।
पूजा पांती तो भोपा लेग्या,
मूरत मांगे नाहीं।।2।।
नीली नीली पांती तोड़ी,
शिर पर आण चढ़ाई।
बोझ ढाब ने ऊबो बापड़ो,
हेटे नाके नाहीं।।3।।
ताता ताता खीरा दीदा,
धूप्या धूप चढ़ाई।
सांच माता अग्नि खागी,
धूंओ मूरत के जाई।।4।।
पदमगरू परवाणी मल्या,
लाडूजी सेण बतावे।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ केवे,
ईष्ट छोड़ो मती भाई।।5।।
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