रंग
रंग का फूल खिल्या है,
देखो
राम बाग गुल क्यारी।।टेर।।
तख्ता
चार चौरासी क्यारी,
ज्यांकी
सड़का न्यारी न्यारी।
पेड़
से पेड़ बड़े है।।1।।
कुआ
एक बाग के माही,
धोरा
तीन लग्या है वांही।
कुआ
से बाग पीवे है।।2।।
मालण
एक बागा के माही,
भर
धोबो फूला को लाई।
मुख
आगे लाय धरे है।।3।।
बैठी
मालण माला पोई,
दिल
चाहवे ले जावो कोई।
देवा
के शीश चढ़े है।।4।।
रामानन्दजी
माला दीनी,
दास
कबीरा प्रेम कर लीनी।
घट
बिच माला फिरे है।।5।।
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