अब थू ले सतगरू की शरण तरण को ओसर आयो रे ab tu le satguru ki sharan taran ko osar aayo re

अब थू ले सतगरू की शरण,

तरण को ओसर आयो रे ।।टेर।।

 

शुभ करमा से मनख तन पायो,

हरख शोक कबहू नहीं लायो।

बणकर आयो बीन्‍द,

नीन्‍द में कैसे सोयो रे।।1।।

 

चोरी चारी और जीव हत्‍या,

मिथ्‍या गाली निन्‍दया बकिया।

हरख शोक अभेमान,

दोष ये दस बतलाया रे।।2।।

 

जो जीव अपनी मुक्ति चावे,

दसो दोष ने दूर हटाले।

पाणी पेली पाल बान्‍ध,

गाफिल कई सूतो रे।।3।।

 

राजा राणा और शिशुपाला,

बाणासुर जरासंध दाणा।

ऐसा ऐसा भूप हिया धरती पर,

पता न पाया रे।।4।।

 

यह दन नर तेरा बीत जायेगा,

फेर चोरासी में जनम पायेगा।

पकड़ सांच तज झूठ,

मारग सीधो बतलायो रे।।5।।

 

रामानन्‍द सत स्‍वामी केवे,

जाग जीव गरू हेला देवे।

कहत कबीर विचार,

मनख तन मुश्किल पायो रे।।6।।

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