आज मारा दादा भाई तो,लगन लिखाया है।
परणबा की बेला में तो पेली नटगी।।1।।
राणाजी मू तो नहीं रेऊला थारी अटकी।
लाज शरम मारी पेला मटगी।।टेर।।
नत रे उठी न मीरा मन्दर चाल्या है।
गोड रे चन्दन की मीरा लीदी टपकी।।2।।
नत रे उठी न मीरा पाणीड़े चाल्या है।
हाथ में बेवड़लो वा तो माथे मटकी।।3।।
नम रे उठी न मीरा सतसंग खल्या है।
ज्ञान न भजनां री मीरा बांधी गठड़ी।।4।।
हर का चरणां में बाई मीरा जो बोले है।
गरू का चरणां माये जाय लपटी।।5।।
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