माली लखमाजी संत सुज्ञानी हो गये जग में भारी mali lakhmaji sant sugyani ho gaye jag me bhari





 माली लखमाजी संत सुज्ञानी,

हो गये जग में भारी।।टेर।।

 

राजस्‍थान के मायने जिला है नागौर।

अमरापुर है गांव उसी में रहे संत सिरमोर।

भगती रामदेवजी की ठाणी, हो गये जग..।।1।।

 

पांच किलोमीटर की दूरी,नागौर जिला से जाणो।

डेह रोड़ के पास मायने संता को है ठाणो।

पहल पूरा गांव की जाणी,हो गये जग..।।2।।

 

रामदेवजी के भगत लखमाजी, करते सेवा पूजा।

जोर शोर से करे आरती नहीं आसरा दूजा।

जिनकी महिमा सबने जाणी, हो गये जग..।।3।।

 

मुसलमान गाडित के घर थे 140 भाई।

अजान देकर नमाज पढ़ते दोनो समय के माई।

रहे बड़े अभिमानी, हो गये जग..।।4।।

 

मुसलमान सब ऐसे बोले,लखमाजी सुण लीजो।

नमाज का हो टेम हमारी,तब पूजा मत कीजो।

हमने बाधा मानी, हो गये जग..।।5।।

 

नमाज पढ़कर शोर मचाते,मैने तो नहीं रोका।

समय बदल दो नमाज का,हमको देवो मौका।

झूठी लड़ाई ठाणी, हो गये जग..।।6।।

 

खियारामजी सतगरू कहिये,राजपूत जाति के।

डेह गांव के रहने वाले,विचारवान ख्‍याति के।

जिसने हरि की भक्ति जाणी, हो गये जग..।।7।।

 

पांच कोस तक पैदल चलकर,गरू शरण में जाते।

डेह गांव से अमरापुर को,तड़के वापस आते।

गाडितो ने मन में ठाणी, हो गये जग..।।8।।

 

गाडितो ने पीछा किया पहले पैदल चल के।

फिर घोडि़या पर चढ़ आये, मार मेट देवे झटके।

दूरी बराबर ही जाणी, हो गये जग..।।9।।

 

हाथ न आये लखमाजी,भाई खेर अगर तुम चाहो।

खाली करदो अमरापुर को, बासनी में बस जाओ।

सबने बात संत की मानी, हो गये जग..।।10।।

 

रामदेवरा जाने वाले, जुंजाले भी जाते।

गुंसाईजी का मन्दिर भारी, मेला वहां भराते।

गावे लखमाजी की बाणी, हो गये जग..।।11।।

 

बावन प्रभू ने धरती नापी, एक पैर वहां रोपा।

राजा बली ने राजपाट और अपना सब कुछ सौंपा।

जडूला बाबा का उतरानी, हो गये जग..।।12।।

 

चेत बुद एकम का मेला, सालो साल भरावे।

आसोज बुद एकम का मेला, इसी तरह भरवावे।

जिसमें आवे भक्‍त और ज्ञानी, हो गये जग..।।13।।

 

जुंजाला का मेला मांही, लखमीदासजी जावे।

बैलगाड़ी से कच्‍चे रस्‍ते, चलते रात पड़ जावे।

दूरी बारा कोस की मानी, हो गये जग..।।14।।

 

आधा कोस अब चलना बाकी, ऐसी आफत आई।

पूठी निकल गई गाड़ी की, और गाड़ी रूक गई भाई।

बैला को खोल नीरणी डारी, हो गये जग..।।15।।

 

मेले में पहुंचे नहीं स्‍वामी, कैसे नीरणी खावे।

रात अंधेरी भारी जंगल, भूखे ही रह जावे।

बैलों ने छोड़ा चारा पाणी, हो गये जग..।।16।।

 

गाड़ी मा सू लिया तन्‍दूरा, ओर सेट कर लीना।

रामदे महाराज कंवर के,भजन शुरू कर दीना।

गावे हरजस हरि की बाणी, हो गये जग..।।17।।

 

उसी समय एक आया आदमी, बात यह बतलाई।

मेले में पहूंचे नहीं, और भजन बोलते भाई।

संत ने पूरी कही कहानी, हो गये जग..।।18।।

 

पूठी टूट गई है तो, फिर कहना चाहिए भाई।

आप ही बाबा रामदेव हो, दर्शन दो सुखदाई।

बाबा को लीला पड़ी बताणी, हो गये जग..।।19।।

 

एक खेजड़ी पाड़ बाबा ने, एक ही पूठी बणाई।

तब पहुंचे मेला के माही, हरि की महिमा गाई।

फिर लगे सुणाने बाणी, हो गये जग..।।20।।

 

जैसलमेर राजा के बाग की, तुमको बात बतावे।

सूखा पण ऐसा क्‍या सूखा, हर्या नहीं हो पावे।

राजा के उतरा मुंह का पाणी, हो गये जग..।।21।।

 

जैसलमेर के एक भगत ने लखमाजी को बुलाया।

आये तब हो गया अंधेरा, घर का पता नहीं पाया।

बाग में ठहर गये हरि ध्‍यानी, हो गये जग..।।22।।

 

शाम सुबह कर पूजा बाग में, भजन बाबा के गावे।

भगती प्रभाव देखलो,बाग हरा हो जावे।

बहुत खुशी हुए राजा राणी, हो गये जग..।।23।।

 

राजा बोले जो मांगो जो, दे दू आप को स्‍वामी।

बाग मेरा हरिया कर दीना,संत बड़े हो नामी।

मुझको कुछ भी चीज नहीं लेनी, हो गये जग..।।24।।

 

राजा को ऐसा बतलाया, गुण बाबा के गावे।

जनता उमड़ पड़ी दर्शन को,उनको भी समझावे।

सब ने मन में मानी, हो गये जग..।।25।।

 

सतसंग भजन कीर्तन करते जैसलमेर के माई।

रीकजी मोची का लड़का एका एक था भाई।

जिनके फिर गिया सिर पर पानी, हो गये जग..।।26।।

 

लड़का मरग्‍या रूदन करे सब, आई आफत भारी।

लाश लाकर रखी सामने, लाज राखज्‍यो मारी।

आप तो संत बड़ा हो ज्ञानी, हो गये जग..।।27।।

 

बाग राजा को हरियो कीदो, आयो भरोसो भारी।

बेटा को भी जिन्‍दा करदो, याही अरज हमारी।

मैंने महिमा आप की जाणी, हो गये जग..।।28।।

 

लखमादासजी जगे सिवरने,ध्‍यान करे बाबो को।

जल का छांटा देकर बोले, समय नहीं मरबा को।

क्‍यूं सूतो नींद अज्ञानी, हो गये जग..।।29।।

 

घोड़े चढ़ कर आये रामदे, लखमाजी ने देखा।

लड़के को जिन्‍दा कर दीना, मेटी भाग की रेखा।

संत की महि‍मा सबने जाणी, हो गये जग..।।30।।

 

कुचेरा का शासन माही आता जुंजाला गांव।

मुसलमान मुजावरो का राज कुचेरा गांव।

जहां मुसलमान रजधानी, हो गये जग..।।31।।

 

जुंजाला के माही मंदिर, एक पुराणा भारी।

मुसलमान सब ऐसे बोले, पीरो की डेर हमारी।

हमने शुरू से ऐसे जाणी, हो गये जग..।।32।।

 

हिन्‍दू सब ऐसे बतलावे, यह है मंदिर हमारा।

गुंसाईयों का मंदिर बाजे, लोग केवे है सारा।

शाखा बस्‍सी यग की  दीनी, हो गये जग..।।33।।

 

जुंजाला मेला के मांही, झगड़ा बढ़ गया भारी।

समझदार लोगो ने मिलके ऐसी बात बिचारी।

यह बात सभी ने मानी, हो गये जग..।।34।।

 

मंदिर के ताला लगवाकर, चाबी राजा को दे दो।

बिना चाबी के ताला खोलो, दोनो जात को कह दो।

जो खोले वो मानी, हो गये जग..।।35।।

 

पहले मुसलमान फिर हिन्‍दू को मौका दीना भाई।

ताला कोई खोल न पाये, लखमाजी को लाये बुलाई।

बात लखमाजी ने जानी, हो गये जग..।।36।।

 

खड़े हो गये लखमाजी ठहक मंदिर के आगे।

खड़े खड़े ही बाबा का भजन सुणाने लागे।

अब रह गई छाप लगानी, हो गये जग..।।37।।

 

जैसी ही छाप लगी भजन के, चमत्‍कार हुआ भारी।

बिना चाबी के ताला खुलिया, देखे नर और नारी।

मंदिर हिन्‍दूओ तब मानी, हो गये जग..।।38।।

 

खेती बाड़ी का काम करे, और सिजारो बावे।

सतसंगत को नूतो आवे, पाणत छोड़कर जावे।

फिर भजन गावे निरवाणी, हो गये जग..।।39।।

 

भजन बोल बा जावे लखमाजी, पाणत रामदे करता।

चड़स छोड़कर सुबह सिजारी, पाली पाली फरता।

खेत में दीखे पाणी ही पाणी, हो गये जग..।।40।।

 

पाणतियो कोइ नजर न आवे, पण ओरड़ा सब के लाग्‍या।

इतने में तो लखमाजी भजन बोलकर आग्‍या।

अब चड़सवान कहे बाणी, हो गये जग..।।41।।

 

भजन बोल बा गया रात ने, पाणत कौन करे वो।

मुझे पता नहीं बाबो जाणे, भजना से काम सरे वो।

यह बात कोई नहीं जाणी, हो गये जग..।।42।।

 

भगत लखमाजी ने भगती कमाई, दुनिया सब ही माने।

भैरू लाल माली की अर्जी, मती राखज्‍यो छाने।

कोई गावे ज्ञानी ध्‍यानी, हो गये जग..।।43।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...