नर थोड़ो चेनत हाल मारगिया में भो भारी nar thodo chetan haal margiya me bho bhari

 

नर थोड़ो चेनत हाल मारगिया में भो भारी।।टेर।।

 

पहला भो भगवान रजक पूरण हारी।

मत कर माया को अभेमान पलक में भिख्‍यारी।।1।।

 

दूजा भो गरूदेव जगत तारण हारी।

धर्या शीश पर हाथ नकलंग करी देह थारी।।2।।।

 

तीजो भो संसार रहणा मणधारी।

चाले संत की चाल परमल फूटे थारी।।3।।

 

चौथा भो है काल दन में आवे तीन बाली।

रटजो श्‍वांस म श्‍वांस राम और रुणकारी।।4।।

 

मोह का भरिया कूप डूब रिया नर नारी।

कहे हीरोजी भव थाग हो जावो भव पारी।।5।।

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